विज्ञान (Science)
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को एक अति विशाल निकाय (system) माना जा सकता है जिसकी संरचना, व्यवस्था एवं कार्य-योजना कुछ 'नियमों' पर आधारित है जिन्हें 'प्राकृतिक नियम' कहते हैं और इन नियमों के आधार पर कार्य करने वाले भौतिक जगत् को प्रकृति कहते हैं। सम्पूर्ण प्रकृति और उसकी घटनाएँ आदिकाल से ही मानव के लिए कौतूहल का विषय रहे हैं। उदाहरण के लिए, सूर्य का प्रतिदिन पूरब दिशा में उदय होना और पश्चिम दिशा में अस्त होना, भारी वर्षा में बिजली का चमकना, मनोहारी इन्द्रधनुष का आकाश में प्रकट होना, इत्यादि अनेक ऐसी घटनाएँ हैं जिन्हें समझने के लिए जिज्ञासु मानव आदिकाल से प्रयत्नशील रहा है। जिज्ञासा के अतिरिक्त एक और बड़ा कारण रहा जिसने मनुष्य को प्रकृति को समझने के लिए विवश कर दिया और वह था अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिए प्रकृति को अपने वश में करने की उत्कंठा। तेज आँधी, मूसलाधार वर्षा, चिलचिलाती धूप, कड़ाके की सर्दी, तड़ित विद्युत् (lightening) आदि अनेक विनाशकारी भयावह प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए प्रकृति को वश में करने के उपाय खोजना आवश्यक था। इस उद्देश्य से मानव ने प्रकृति को ध्यान से देखा, उसे 'समझा' और इस समझ का उसने अपने लिए अनेक उपयोगी कार्यों में तो प्रयोग किया ही, साथ ही इसी समझ से और अधिक प्रश्नों, शंकाओं और जिज्ञासाओं का उदय हुआ जिन्हें सुलझाने की क्रिया में उसके ज्ञान में और अधिक वृद्धि होती गयी। इस प्रकार हम देखते हैं कि प्रकृति को समझने और इस समझ का प्रकृति पर नियन्त्रण करने के लिए प्रयोग करने की प्रक्रिया में विज्ञान का विकास हुआ। अत: हम व्यापक रूप से कह सकते हैं कि
“प्रकृति के विषय में क्रमबद्ध, व्यवस्थित एवं संगठित ज्ञान ही विज्ञान कहलाता है।”
विज्ञान अंग्रेजी शब्द ‘Science’ का हिन्दी रूपान्तर है और Science शब्द लैटिन भाषा के शब्द ‘Scientia” से बना है जिसका अर्थ है जानना (to know) । संस्कृत भाषा का शब्द 'विज्ञान' तथा अरबी भाषा का शब्द 'इल्म ' भी यही अर्थ व्यक्त करते हैं जिनका तात्पर्य है 'ज्ञान'। अत: उपरोक्त परिभाषा ‘Science’ शब्द की मूल भावना के अनुकूल है।
विभिन्न वैज्ञानिकों ने विज्ञान की निम्न प्रकार परिभाषित किया है—
अल्बर्ट आइन्स्टीन के अनुसार विज्ञान केवल नियमों का संकलन मात्र नहीं है, बल्कि असम्बन्धित तथ्यों (unrelated facts) का एक सूची-पत्र (catalogue) भी है। आइन्स्टीन के ही अनुसार, "संसार के बारे में सबसे अधिक अबोधगम्य (incompressible) विषय यह है कि यह बोधगम्य (compressible) है।" यह कथन इस साधारण तथ्य पर आधारित है कि इस वृहत् ब्रह्माण्ड में प्रत्येक वस्तु भली प्रकार परिभाषित नियमों द्वारा ही जानी जाती है।
ब्रुस लिण्डसे (Bruce Lindsay) के अनुसार, "विज्ञान मानव के अनुभव को समझने और प्राप्त करने की विधि है।"
विख्यात वैज्ञानिक नील बोहर (Neil Bohr) के अनुसार, "विज्ञान का कार्य हमारे अनुभव की सीमा को बढ़ाना तथा इसको नियमित स्थिति तक घटाना दोनों है।” जीराल्ड हाल्टन (Gerald Halton) के अनुसार, "विज्ञान सदैव एक अपूर्ण खोज (unfinished quest) है जिससे सभी तथ्यों को खोजा जाता है। विज्ञान के माध्यम से उन वस्तुओं तथा उन नियमों के बीच सम्बन्ध स्थापित किया जाता है जिनसे यह विश्व चलता है।” फिलिप्स फीमेन (Philips Feyman) के शब्दों में, "मैं विश्व दृश्य (world view) के मूल्यों को कम आँकना नहीं चाहता जो वैज्ञानिक के प्रयास का परिणाम हैं।”
प्रख्यात दार्शनिक बरट्रान्ड रसेल (Bertrand Russel) के अनुसार विज्ञान की व्याख्या इस प्रकार करते हैं, “हमको बहुत कम ज्ञात है और विज्ञान का अल्प ज्ञान हमें जानने की अत्यधिक शक्ति देता है।"
भौतिकी क्या है ?(What is Physics ?)
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में जिस किसी भी वस्तु का कोई अस्तित्व है, वह सब कुछ द्रव्य (matter) और ऊर्जा (energy) का ही रूप है। द्रव्य (Matter)-कोई भी वस्तु जिसका विराम अवस्था (stateofrest) में कुछ-न-कुछ द्रव्यमान (mass) अवश्य हो, जो स्थान घेरती हो (अर्थात् जिसका कुछ-न-कुछ आयतन अवश्य हो) और जो हमारी ज्ञानेन्द्रियों (sense-organs) को प्रभावित करती हो, द्रव्य कहलाती है। उदाहरण के लिए, वायु, जल, गैस, लोहा, लकड़ी, आदि।
ऊर्जा (Energy)
ऊर्जा प्रत्यक्ष रूप में किसी वस्तु का नाम नहीं जिसके कारण 'कार्य करने की क्षमता ' प्राप्त होती है, ऊर्जा कहलाती हैं। ऊर्जा के बिना कोई कार्य सम्पन्न नहीं हो सकता। अत: किसी वस्तु की ऊर्जा उस कार्य के द्वारा मापी जाती है जो वह वस्तु कर सकती है। ऊर्जा सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में व्याप्त है। द्रव्य भी ऊर्जा के बिना नहीं रह सकता। किसी भी द्रव्यमान m के समतुल्य ऊर्जा E होती है, जहाँ E= 77762; यहाँ पर c, प्रकाश का निर्वात में वेग है। इस समीकरण को आइन्स्टीन का द्रव्यमान-ऊर्जा सम्बन्ध कहते हैं। इससे स्पष्ट है कि ऊर्जा E लुप्त होकर द्रव्यमान (E/62) बन जाती है। ऊर्जा विभिन्न रूपों में पायी जाती है, जैसे—विद्युत्, प्रकाश, ध्वनि, ऊष्मा, चुम्बकत्व आदि। द्रव्य और ऊर्जा दोनों ही भौतिकी की विषय-सामग्री हैं। भौतिकी (Physics)—यह विज्ञान की वह शाखा है जिसके आंतरिक पदार्थ, ऊर्जा और उनके अंतःक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। परस्पर क्रियाओं के परिणामस्वरूप होने वाले रासायनिक परिवर्तनभौतिकी के क्षेत्र में नहीं आते, उनका अध्ययन रसायन विज्ञान का विषय है। 'भौतिकी' शब्द अंग्रेजी के शब्द ‘Physics' का हिन्दी रूपान्तर है। Physics शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के शब्द फ्यूसिस (Pheusis) से मानी जाती है जिसका अर्थ है 'प्रकृति'। दूसरी ओर इसका समानार्थी संस्कृत शब्द 'भौतिकी' है जिसका प्रयोग भौतिक जगत् के अध्ययन से सम्बन्धित है। अत: हम कह सकते हैं कि “भौतिकी वह विज्ञान है जिसके अन्तर्गत प्रकृति और उसकी घटनाओं का अध्ययन किया जाता है।" परन्तु यह परिभाषा बहुत व्यापक है क्योंकि प्रकृति में तो सब कुछ समाया हुआ है। प्रकृति द्रव्य और ऊर्जा का ही मेल है, अत: पहली परिभाषा भौतिकी की विषय-वस्तु (subject-matter) को अधिक स्पष्ट करती है।
भौतिकी का क्षेत्र एवं रोमांच (Scope and Excitement of Physics)
भौतिकी का क्षेत्र अति विशाल है। वास्तव में अठारहवीं शताब्दी के अन्त तक सम्पूर्ण विज्ञान को केवल एक ही नाम 'प्राकृतिक दर्शन'(Natu ral Philosophy) से जाना जाता था। बाद में जैसे-जैसे ज्ञान का विस्तार हुआ तो इसे दो मुख्य शाखाओं में बाँट दिया गया-जीव विज्ञान (Biological Science) और भौतिक विज्ञान (Physical Science) ।
इस प्रकार जीवित वस्तुओं का अध्ययन जीव विज्ञान में और जड़ (inert) पदार्थों का अध्ययन भौतिक विज्ञान के अन्तर्गत किया जाता था। निजीव पदार्थों के विज्ञान में से रसायन विज्ञान के भाग को और निकाल दिया जाये तो जो कुछ बचेगा, वह भौतिकी ही है। अत: भौतिकी का अध्ययन क्षेत्र अति विशाल है।
प्रकृति में एक अत्यन्त छोटी वस्तु से लेकर अति विशालकाय वस्तुएँ पायी जाती हैं। भौतिकी के यन्त्रों और विधियों से जब हम इन वस्तुओं के आकार को जान लेते हैं तो प्रकृति की इस असीम विविधता का हमें आभास होता है। इससे हम कौतूहल और उत्तेजना का अनुभव करते हैं। उदाहरण के लिए, परमाणु के नाभिक की त्रिज्या लगभग 10-14 मीटर होती है जबकि अधिकतम दूरी पर स्थित किसी गैलेक्सी की दूरी 1025 मीटर हो सकती है। अति सूक्ष्म कण इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान 10-30 किग्रा है तो सूर्य का द्रव्यमान 1030 किग्रा है। एक तीव्रगामी कण परमाणु के नाभिक में से 10-23 सेकण्ड में पार जा सकता है, जबकि सूर्य की अनुमानित आयु लगभग 1018 सेकण्ड है। इस प्रकार स्पष्ट है कि विश्व की विभिन्न भौतिक घटनाओं की परास (range) में अन्तर अति विशाल है। स्पष्ट है कि प्रकृति की घटनाएँ अत्यन्त जटिल हैं परन्तु फिर भी इन घटनाओं को समझा जा सकता है। यही तो आश्चर्य है।
वास्तव में अल्बर्ट आइन्स्टीन ने कहा था, “इस संसार के सम्बन्ध में सबसे कम समझ में आने वाली बात यह है कि इसे समझा जा सकता है।" (The most incomprehensible thing about the World is that it is comprehenSible.) जटिल प्रकृति का अध्ययन निम्न कारणों से सम्भव हो सका है—
(i) प्रत्येक भौतिक घटना के विवरण को परिमाणात्मक रूप में (in quantitative form) अथवा गणनात्मक के रूप में प्रकट किया जा सकता है। इन संख्याओं को या तो ग्राफ के रूप में दर्शाते हैं या सारणी (table) के रूप में लिखा जाता है। इससे हमें कुछ नियमितताओं का पता चलता है जो घटना को समझने में बहुत सहायक सिद्ध होती हैं।
(ii) हम देख चुके हैं कि प्राकृतिक घटनाओं में व्याप्त द्रव्यमान, समय और दूरी के मानों में अन्तर बहुत ही अधिक है परन्तु फिर भी इन राशियों के मापन में काम आने वाले सामान्य मूलभूत सिद्धान्तों और नियमों की संख्या थोड़ी है और निश्चित है। इसी प्रकार ऊपर से इतनी अलग-थलग दिखने वाली घटनाओं के मूल में कार्य करने वाले प्राकृतिक नियमों की संख्या सीमित है। अत: उन्हें समझना कठिन नहीं है।
(iii) प्रत्येक घटना में दो प्रकार की विशेषताएँ अथवा लक्षण पाये जाते हैं। एक तो वे लक्षण जो अत्यन्त महत्वपूर्ण, अनिवार्य और आधारभूत होते हैं, दूसरे वे जो इन आधारभूत लक्षणों के फलस्वरूप उत्पन्न हो जाते हैं और कम महत्वपूर्ण होते हैं। जब वैज्ञानिकों में इन दोनों प्रकार के लक्षणों को अलग-अलग करने की क्षमता आ जाती है तो प्राकृतिक घटनाओं को समझना बड़ा सुगम हो जाता है।
इस प्रकार हम देखते हैं कि भौतिकी का मूल सन्देश है-“प्रकृति ऊपर से जितनी जटिल, विषम और अस्त-व्यस्त जान पड़ती है, गहराई से समझ लेने पर यह उतनी ही अधिक सरल, सममित (symmet ric) और नियमबद्ध साबित होती है।” आजकल भौतिकी के अनेक क्षेत्रों में बड़े रोचक तथा उत्तेजक अनुसन्धान किये जा रहे हैं। उदाहरणार्थ, टेलीविजन पर घटनाओं को हजारों किलोमीटर दूर प्रेषित करना, S.T.D., I.S.D., फैक्स, पेजर, सेल्यूलर फोन, कम्प्यूटर भौतिकी में कृत्रिम बुद्धि और कृत्रिम मानव रोबोट का निर्माण, पृथ्वी से नियन्त्रित चन्द्रमा तक की यात्रा, स्वास्थ्य विज्ञान में अनेक तकनीकी अनुसन्धान, लेसर तथा उनके बढ़ते अनुप्रयोग, कण भौतिकी में पूर्व-ज्ञान और प्रेक्षणों के आधार पर घटना को समझने के लिए प्रोटॉन की 1012 eV से भी अधिक ऊर्जा तक त्वरित करना तथा उसकी सहायता से पदार्थ की मूलभूत इकाई क्वार्क का अध्ययन, नाभिकीय भौतिकी में शीत संलयन को सम्भव बनाकर पृथ्वी पर अपार ऊर्जा स्रोत का निर्माण एवं प्रकृति में ऊर्जा के नये स्रोतों की खोज, आदि।
अभी CERN जेनेवा (स्विट्जरलैण्ड) में Large Hardon collider (LHC) का निर्माण किया गया है तथा उसकी सहायता से पिछले 50 वर्षों से प्रतीक्षित कण (Higgs Boson) की खोज की घोषणा 4 जुलाई, 2012 को की गयी। यह विज्ञान जगत् की एक रोमांचकारी उपलब्धि मानी गयी है, जो भौतिकी के प्रामाणिक प्रारूप (standard modal) को सत्यापित करती है। Higgs Boson वह कण है जो अन्य कणों से अन्तक्रिया करके उन्हें संहति प्रदान करता है।
इस प्रकार भौतिकी एक यथार्थ विज्ञान है क्योंकि इसका अति उत्कृष्टता से मापित राशियों के पदों में अध्ययन किया जाता है। इसके कुछ ही नियम अनेकों प्रकार की प्राकृतिक घटनाओं के अध्ययन में सहायक होते हैं। परमाण्विक प्राकृतिक घटना से खगोलीय प्राकृतिक घटनाओं तक सभी प्राकृतिक घटनाओं का कुछ ही मूल सिद्धान्तों के पदों के अन्तर्गत अध्ययन किया जा सकता है।
भौतिकी के अध्ययन के लिए इसे निम्नलिखित वर्गों में बाँटा गया है
- (i) सामान्य भौतिकी (General Physics)-इसको पुन: दो उप-वर्गों में बाँटा गया है- (a) यान्त्रिकी (Mechanics), (b) द्रव्य के सामान्य गुण (General properties of matter),
- (ii) ऊष्मा (Heat),
- (iii) ध्वनि (Sound),
- (iv) प्रकाश (Light),
- (V) स्थिर-वैद्युतिकी (Electrostatics),
- (vi) धारा विद्युत् (Current electricity),
- (Vii) चुम्बकत्व (Magnetism),
- (Viii) आधुनिक भौतिकी (Modern Physics), इसके अन्तर्गत सूक्ष्म कणों तथा परमाणुओं का अध्ययन किया जाता है,
- (ix) इलेक्ट्रॉनिकी (Electronics), (x) कम्प्यूटर विज्ञान (Computer science) ,
- (xi) खगोल भौतिकी (Astrophysics),
- (xii) रोबोट विज्ञान (Robotics),
- (xiii) संघनित द्रव्य भौतिकी (Condensed Matter Physics)
- (xiv) नैनो भौतिकी (Nan0 Physics) ।
वैज्ञानिक विधि (Scientific Method)
कार्य करने की जिस विधि से वैज्ञानिक (अध्ययनकर्ता), विज्ञान का अध्ययन करते हैं, उसे वैज्ञानिक विधि कहते हैं। प्राय: वैज्ञानिक विधि को चार भागों में बाँटा जाता है—
- (i) प्रेक्षण (observation),
- (ii) परिकल्पना (hypothesis),
- (iii) प्रयोग (ex periment), तथा
- (iv) निष्कर्ष (conclusion) ।
प्रेक्षण (Observation) और प्रयोग दोनों ही विज्ञान के लिए अनिवार्य हैं। वैसे तो सभी व्यक्ति, चाहे वे वैज्ञानिक हों या न हों, वस्तुओं और घटनाओं को ध्यानपूर्वक देख सकते हैं परन्तु वैज्ञानिक को यह सोचना होता है कि ध्यान से क्या देखें और कैसे देखें? वैज्ञानिक को यह भी सुनिश्चित करना होता है कि उसके प्रेक्षण व्यक्तिगत भावनाओं और इच्छाओं से प्रभावित न हों।
एक सैद्धान्तिक ढाँचा अथवा परिकल्पना का निर्माण किया जाता है। अनेक सम्भावित व्याख्याओं के आधार पर एक से अधिक परिकल्पनाएँ भी बनायी जा सकती हैं। पहली परिकल्पना की जाँच करने के लिए अथवा यह देखने के लिए कि किन दशाओं में एक विशेष विचार सत्य है, प्रयोग किये जाते हैं। प्रयोग का विश्लेषण करके अथवा पुन: प्रयोग करके यह निष्कर्ष निकाला जाता है कि कौन-सा विचार सत्य है। यही विचार, जब अन्य वैज्ञानिकों के स्वतन्त्र प्रयोगों द्वारा सत्य पाया जाता है तो सिद्धान्त या नियम बन जाता है। वास्तविक जीवन में जब इन नियमों का प्रयोग किया जाता है तो इनकी सीमाओं (limitations) का पता चलता है और तब नयी परिकल्पनाओं का जन्म होता है और अधिक प्रयोगों का सिलसिला शुरू हो जाता है और श्रेष्ठतर नियमों का निर्माण किया जाता है।
नियम और सिद्धान्त (Law and Theory)-
प्रयोगों और प्रेक्षणों द्वारा सत्यापित परिकल्पना (hypothesis) सिद्धान्त कहलाती है। सिद्धान्त, किसी घटना अथवा प्रेक्षण की व्याख्या न्यूनतम (mini mum) अभिगृहीतों (assumptions) की सहायता से कर सकता है। एक सिद्धान्त किसी घटना विशेष की अथवा सम्बन्धित कुछ घटनाओं की व्याख्या करता है परन्तु यदि सिद्धान्त, सम्बन्धित सभी घटनाओं, प्रेक्षणों और तथ्यों की व्याख्या करता है तो वह नियम (Law) बन जाता है। अत: हम कह सकते हैं कि “कोई सिद्धान्त जब सभी सम्बन्धित घटनाओं एवं तथ्यों के लिए सत्य होता है तो यह नियम कहलाता है।" उदाहरण के लिए, प्रकाश का तरंग सिद्धान्त (wave theory of light) एक 'सिद्धान्त' है क्योंकि यह प्रकाश से सम्बन्धित कुछ घटनाओं (परावर्तन, अपवर्तन, व्यतिकरण, विवर्तन और ध्रुवीकरण) की व्याख्या कर सकता है, चाहे भले ही यह प्रकाश के 'प्रकाश-वैद्युत प्रभाव' (photo-electric effect) की व्याख्या नहीं कर सकता है। इसके विपरीत ऊर्जा संरक्षण का नियम (law of conservation ofenergy) एक 'नियम' है और यह प्रत्येक घटना और प्रत्येक परिस्थिति में सत्य होता है। सीमित होने के कारण सिद्धान्त बदल भी सकते हैं, परन्तु नियम नहीं बदलते। जब कोई प्रचलित सिद्धान्त नये प्रेक्षणों से प्राप्त तथ्यों की व्याख्या करने में असमर्थ होता है तो वह अमान्य हो जाता है तथा नये सिद्धान्त की रचना की जाती है।
विज्ञान की अन्य शाखाओं से भौतिकी का सम्बन्ध (Phys ics in Relation to Other Branches of Science)
भौतिकी द्रव्य और ऊर्जा का विज्ञान है। क्योंकि जीवित और निजीव सभी वस्तुएँ द्रव्य और ऊर्जा से ही बनी हैं, अत: पदार्थ के सभी प्रकार के अध्ययन में भौतिकी का समावेश स्वाभाविक है। अत: भौतिकी ही मूलभूत विज्ञान है। विज्ञान की बहुत-सी शाखाओं के विकास में भौतिकी की महत्वपूर्ण भूमिका है। उदाहरणार्थ—
गणित से भौतिकी का सम्बन्ध (Physics in Relation to Mathematics)-भौतिकी यदि एक विचार है तो उस विचार की
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